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तहकीक बहुत मुश्किल काम है गोया बहरे जुलमात में गोताज़न होकर मोतियों को चुनने जैसा काम है। यह अरबी ज़बान का लफ़्ज़ है जिसके माना हैं किसी चीज़ की असलियत व हकीकत मालूम करने के लिए छान बीन और तफ्तीश करना इस्तेलाहे तहकीक का मतलब है कि किस मुंतखिब मौजू के मुताल्लिक छान बीन करके खरे खोटे और असली व नक़ली मवाद में इम्तियाज करना फिर तहकीकी कवायद व जवाबत के मुताबिक उसे इस्तेमाल में लाना और उससे नताएज अखज़ करना, हक का मतलब साबित करना, सबूत फ्राहम करना ।  तहकीक का काम हाल को बेहतर बनाना, मुस्तकबिल को संवारना और माज़ी की तारीकियों को रौशनी अता करना है । तहकीक का काम एक अहम काम गुमशुदा दफीनों को दरियाफ्त करना और माज़ी की तारीकियों को दूर करके उसे रौशनी अता करना है । तहकीक के लुग्वी माना किसी शै की हकीकत का असबात है । इस्तेलाहन यह एक ऐसा तर्ज मुताला का नाम है जिसमें मौजूद मवाद के सही या गलत को बाज़ मुस्लिमात की रौशनी में परखा जाता है । तारीखी तहकीक में किसी अम्र वाक्या के मौका के इमकान व इनकार की छान बीन मद्दे नज़र होती है।  तहकीक माज़ी की गुमशुदा कड़ियां दरियाफ्त करती है और तारीखी तसलसुल का फरीजा अंजाम देती है । और इल्म को उसके इर्तेका की सूरत में मरबूत करती है । तहकीक मौजूद मवाद को मुरत्तिब करती है । उसका तजज़िया करती है उस पर तंकीद करती है । और फिर उससे होने वाले नताएज से आगाह करती है । हमारे दारुल उलूम फैजाने मुस्तफा की शोबा दरुत्तहकीक कौम को बेहतरीन मोहक्किक देने का काम कर रहा है । जो दीनी व दुनियावी सारे मामलात को अपनी काबिलियत से आसानी के साथ हल करते हैं ।।